Sandeep Kumar

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लेखनी प्रतियोगिता -15-Mar-2024

आओ एक दुजे को कह दे 
इतना हम तो दुर नहीं
तन से जीतना दुर है
मन से उतना दुर नहीं।।

खा कर ठोकर मगरूर हुएं 
करेंगे कोई भूल नहीं
जीवन असूलों पर चलता है 
यह कोई त्रिशुल नहीं।।

जीओ अब खुल कर जिंदगी 
इसमें कोई प्रीत नहीं
हंसते बोलते बढ़े चलो
चार दिन से ज्यादा दिन नहीं।।

एक दुजे कि बाते करते
बातों में कुछ रंगीन नहीं 
प्यार मोहब्बत कर लो किसी से
फिर आएगा यह दिन नहीं।।

आशा हैं जन्नत की तो
रखना तन का भुख नहीं
मन कोरा कागज कर लेना 
गोरी कोई आइसक्रीम नहीं।।

एक दुजे कि च्वाइस बनना 
कामना की मसीन नहीं
प्यार प्यार है 
कोई पाप संघीन नहीं।।

स्वर्ग धरा कि अप्सरा लगती
वह लड़की है जीन नहीं
कैसे दिल से बाहर कर दूं
वह दुकान की नमकीन नहीं।।

जादुई रंग रूप है उसकी
कोई ब्यूटी क्रीम नहीं
मन की तृप्ति को भाता बहुत
उठा लाउ  गुड़िया सी कोई चीज नहीं।।

स्वर हो संधान मिला
धड़कन की कोई गीत नहीं 
कंठ की गान बनी
जीवन में उसकी जैसे वैक्सीन नहीं।।

मेरे सर की ताज है वह
कोई सड़क की क्रश नहीं
मन मंदिर की सपना है 
कोई हवसी आस्तीन नहीं।।

मुरत सी दर्शन हो तुम
तुम नहीं तो मेरी वजूद नहीं
मेरी मंदिर की नीव हो तुम 
मैं बदलने वाला आस्तीन नहीं।।

जीवन, जिंदगी हो तुम
तुम्हारे बिना यह जिंदगी नहीं
मर जाना बेहतर है
लेकिन तुझसे बिछड़ कर जीना नहीं।।

संदीप कुमार अररिया बिहार
© Sandeep Kumar

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5 Comments

Mohammed urooj khan

18-Mar-2024 12:55 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Varsha_Upadhyay

16-Mar-2024 10:50 PM

Nice

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Gunjan Kamal

16-Mar-2024 10:12 PM

👌👏

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